
रामू और उसकी चमत्कारी गाय रामू का प्रेम और लक्ष्मी की सादगी (Ramu's Love and Lakshmi's Simplicity) एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक सीधा-सादा किसान रहता था। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था और बहुत गरीब था, पर उसका दिल बहुत बड़ा था। रामू की सबसे प्रिय चीज़ उसकी गाय थी, जिसका नाम उसने लक्ष्मी रखा था। लक्ष्मी ज़्यादा दूध नहीं देती थी, पर रामू उसे अपने परिवार का ही हिस्सा मानता था। वह लक्ष्मी से बातें करता, अपने सुख-दुख बाँटता। गाँव के दूसरे लोग उसे लक्ष्मी को बेचकर एक अच्छी दूध देने वाली गाय खरीदने की सलाह देते, पर रामू कभी ऐसा सोच भी नहीं पाता था। उसे लक्ष्मी से गहरा लगाव था। सूखा और बेबसी (Drought and Helplessness) एक साल, गाँव में भयानक सूखा पड़ा। खेत सूख गए, फसलें बर्बाद हो गईं, और जानवरों के लिए चारा मिलना मुश्किल हो गया। रामू का परिवार भूखा रहने लगा, और लक्ष्मी भी कमज़ोर पड़ने लगी। रामू को लक्ष्मी की हालत देखकर बहुत दुख होता। एक दिन, उसने सोचा कि उसे लक्ष्मी को किसी ऐसे रिश्तेदार के यहाँ छोड़ आना चाहिए जहाँ चारा उपलब्ध हो। यह सोचकर उसका दिल भारी हो गया, पर उसे लक्ष्मी की चिंता थी। उसने तय किया कि वह उसे खुद एक दूर के गाँव में अपने चाचा के पास ले जाएगा, जहाँ थोड़ी हरियाली बची थी। जंगल में एक अनोखा संकेत (A Strange Sign in the Forest) रामू लक्ष्मी को साथ लेकर अपने चाचा के गाँव की ओर चल पड़ा। रास्ता लंबा और थका देने वाला था। दोपहर के समय, वे एक घने जंगल से गुज़र रहे थे। रामू एक पेड़ के नीचे सुस्ताने बैठा। तभी लक्ष्मी ने ज़मीन पर अपने खुरों से कुछ खोदना शुरू कर दिया और अजीब सी आवाज़ें निकालने लगी। रामू ने उत्सुकता से देखा। लक्ष्मी एक विशेष स्थान पर बार-बार अपना सिर मार रही थी। रामू ने पास जाकर देखा और लक्ष्मी की मदद से उस जगह को खोदना शुरू किया। थोड़ी ही देर में, उसे एक पुराना मिट्टी का घड़ा मिला। जब उसने घड़ा खोला, तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं – घड़ा सोने के सिक्कों से भरा था! खुशहाली और दयालुता (Prosperity and Kindness) रामू अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। लक्ष्मी ने उसे यह खज़ाना ढूंढने में मदद की थी। उसने उन सिक्कों का इस्तेमाल बहुत समझदारी से किया। उसने अपने खेत में कुआँ खुदवाया, अच्छी खाद और बीज खरीदे। उसने लक्ष्मी के लिए भी सबसे अच्छा चारा और देखभाल सुनिश्चित की। धीरे-धीरे रामू का खेत फिर से हरा-भरा हो गया और उसकी आर्थिक स्थिति सुधर गई। उसने अपनी ख़ुशी अकेले नहीं रखी, बल्कि गाँव के दूसरे ज़रूरतमंद लोगों की भी मदद की। रामू और लक्ष्मी जीवन भर साथ रहे। रामू कभी नहीं भूला कि लक्ष्मी केवल एक जानवर नहीं, बल्कि उसकी सच्ची साथी और खुशियों की वजह थी। नैतिक शिक्षा (Moral of the Story) प्रेम, दया और विश्वास का फल हमेशा मीठा होता है। जानवरों के प्रति हमारा प्यार और दयालुता हमें ऐसे आशीर्वाद दे सकती है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।